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करुणावतार बुद्ध
यहाँ पढ़ेंसिद्धार्थ के गौतम बुद्ध बनने तक की घटना को आधार बनाकर रचित इन नाट्य प्रविष्टियों में विशिष्ट प्रभाव एवं अद्भुत आस्वाद है।
राजा हरिश्चन्द्र
यहाँ पढ़ेंसिमटती हुई श्रद्धा एवं क्षीण होते सत्याचरण वाले इस समाज के लिए सत्य हरिश्चन्द्र का चरित्र-अवगाहन प्रासंगिक भी है और आवश्यक भी।
सावित्री
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यहाँ पढ़ेंगुरुदेव टैगोर की विशिष्ट कृति गीतांजलि के गीतों का हिन्दी काव्य-भावानुवाद इस ब्लॉग पर प्रकाशित है। यह अनुवाद मूल रचना-सा आस्वाद देते हैं।
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िस सुन्दर अनुवाद के लिये बधाई और धन्यवाद्
बहुत सुन्दर अनुवाद किया है,
आपके बाबू जी को नमस्कार पहुँचे !
पिता जी को उनके भावानुवाद के लिए….
उतनी उत्कृष्ठ शब्दावली तो नहीं …
एक अदना सा बालक ..
क्या कह सकता है भला..
सिवाय सादर चरण स्पर्श के ।
आभार !
बहुत सुंदर अनुवाद, सादर प्रणाम.
रामराम.
आपका तो जबाव नही ……………..बहुत ही सुन्दर रचना पडवायी एक सुन्दर अनुवाद भी पढने को मिला…….आपके ब्लोग पर आकर बहुत कुछ सिखने को मिलता है …….अतिसुन्दर
हिमांशु भाई नमस्कार!
अच्छा लगा आपके पिताजी का ये लेखनी .
बधाई .
बहुत सुंदर भावानुवाद।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
itni sunadar aur bhabhini rachna padhwane ke liye shukriya aur wo bhi anuvaad ke sath…………naman hai.
बाबूजी ने पूरी तरह डूबकर भावानुवाद किया है.. उनकी रचनाएं सीधे दिल को छू जाती हैं .. हैपी ब्लॉगिंग
बाबूजी ने पूरी तरह डूबकर भावानुवाद किया है.. उनके भावानुवाद सीधे दिल को छू जाते हैं .. हैपी ब्लॉगिंग
भावानुवाद मन तक पहुंच रहा है
निराश चित्कार रहा अम्बर-अन्तर ।
गुरुदेव की कविता में रचे बसे भावो और उनके अंतर की निराश चीत्कार का सुन्दर प्रस्तुतीकरण के लिए पंकिलजी का बहुत आभार ..!!
मसि तममय किस सरि के तट पर किस उद्वेलित वन कोने में
किस गहन धुंध में तुम विलीन हो गये स्वयं को खोने में …
aapke pitaji ne mujhe bahut prabhavit kiya.
himanshu ji unki utkrisht lekhni ka kayal hoon…
aur haan aapki 'samalochna' (dhyaan dein SAMALOCHNA) ka bhi….
pasand aaie to aap bebak kehte hain pasand aaiye nahi to with reason khot nikalte hain….
….aapke comments ka sadev aabhari rahoonga.
सीधे संवाद और संवेदित करता भावानुवाद !