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रमणी के नर्म वाक्यों से फूल उठा मंदार : वृक्ष दोहद-8

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

मुझे क्षण-क्षण मुग्ध करती, सम्मोहित करती वृक्ष दोहद की चर्चा जारी है। मंदार की चर्चा शेष थी अभी। कैसा विश्वास…

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निर्निमेष अविरत दृष्टि

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

कई बार निर्निमेषअविरत देखता हूँ उसे यह निरखनाउसकी अन्तःसमता को पहचानना है मैं महसूस करता हूँनदी बेहिचक बिन विचारेअपना सर्वस्व…

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एक शान्त मन ही व्रती होता है

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

आजकल एक किताब पढ़ रहा हूँ – आचार्य क्षेमेन्द्र की औचित्य-दृष्टि। किताब बहुत पुरानी है- आवरण के पृष्ठ भी नहीं…