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Capsule Poetry

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बादल तुम आना (कविता)

बादल तुम आना

विलस रहा भर व्योमसोममन तड़प रहायह देख चांदनीविरह अश्रु छुप जाँय, छुपानाबादल तुम आना ।। 1 ।। झुलस रहा तृण-पातऔर कुम्हलाया-सामृदु गातधरा दग्ध,संतप्त हृदय की तृषा बुझानाबादल तुम आना।। 2 ।।

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कविता : इंतज़ार उसका था

[एक.] सलीका आ भी जाता सिसक उठता झाड़ कर धूल पन्नों की पढ़ता कुछ शब्द सुभाषित ढूंढ़ता झंकारता उर-तार राग सुवास गाता रहस-वन मन विचरता। मैं स्वयं पर रीझ तो जाता पर इंतज़ार उसका था। [दो.] साँवली-सी डायरी में एक…

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मेरे प्यारे मज़दूर

मैं जानता हूँ तुम्हारे भीतर कोई ’क्रान्ति’ नहीं पनपती पर बीज बोना तुम्हारा स्वभाव है। हाथ में कोई ‘मशाल’ नहीं है तुम्हारे पर तुम्हारे श्रम-ज्वाल से भासित है हर दिशा। मेरे प्यारे ’मज़दूर’! यह तुम हो जो धरती की गहरी…

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कविता और कविता का बहुत कुछ

१) कविता उमड़ आयी अन्तर्मन में जैसे उतर आता है मां के स्तनों में दूध। २)  कविता का छन्दसध गया वैसे हीजैसे स्काउट की ताली मेंमन का उत्साह। ३)  कविता का शब्दसज गया बहुविधिजैसे बनने को मालासजते हैं फूल। ४)कविता…

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मैंने कविता लिखी

मैंने कविता लिखी जिसमें तुम न थे तुम्हारी आहट थी और इस आहट में एक मूक छटपटाहट मैंने कविता लिखीजिसमें उभरे हुए कुछ अक्षर थेयद्यपि वो फूल नहीं थेपर फिर भी उनमें गंध थी मैंने कविता लिखीजिसमें इन्द्रधनुष नहीं थाहाँ,…

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शील (कविता)

तनिक पहचानेंउस शील कोजो डरता तो हैसंसार की अनगिनतअंधेरी राहों में चलते हुएपर अपने मन मेंऔर दूसरों की दृष्टि मेंबनना चाहता है वीरऔर इसलियेगाने लगता है।

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प्रेम के अमूल्य कण

तुमने अपने हृदय में जो अनन्त वेदनासमो ली हैऔर उस वेदना को हीअपनी अमूल्य सम्पत्ति समझउसे पोषित करते होवस्तुतःउसी से प्राप्तप्रेम के अमूल्य कणमेरे निर्वाह के साधन हैं। मैं एक मुक्त पक्षी हूंऔर वेदना-निःसृतयही प्रेम के कण चुगता हूं।

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प्यार और मुक्त हृदय

वह तुम्हारा मुक्त हृदय था जिसने मुझे प्यार का विश्वास दिया, मैं तुम्हें प्यार करने लगा। मैं तुम्हें प्यार करता था अपनी समस्त जड़ता से ऊपर उठकर और इसलिये ही तुम मुक्त हृदय थे।

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ईश्वर की कानाफूसियाँ

हम सबके अपने-अपने अलग-अलग ईश्वर कानाफूसी किया करते हैं। क्या संसार के  हम सभी लोगों को चुप नहीं हो जाना चाहिये- जैसा ’इमरसन’ कहता है- कि हम ईश्वर की कानाफूसियाँ सुन सकें!

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विशिष्ट अनुभव

photo :http://www.surrealview.net/art.htm विशिष्ट अनुभव है क्या? यही कि कोयल के गीतों में हमें गणित के सवालों के हल मिलें और बाघ की मुस्कराहट के कूटार्थ हम समझ लें।