नज़र में भरकर नज़र कुछ सिमट जाना, भूलना मत।देखना होकर मगन फिर चौंक जाना, भूलना मत। मौज़…
‘मोहरे वही, बिसात भी वही और खिलाड़ी भी…/ यह कैसे हुआ मीत /…’ बहुत पहले सुना था…
ज़िंदगी ज़हीन हो गयीमृत्यु अर्थहीन हो गयी। रूप बिंध गया अरूप-सासृष्टि दृश्यहीन हो गयी। भाव का अभाव…
एक दिया गीतों पर रख दो, एक दिया जँह सुधियाँ सोयीं एक दिया उस पथ पर रख…
मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें । मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति…
बस आँख भर निहारो मसलो नहीं सुमन कोसंगी बना न लेना बरसात के पवन को । वह…