अप् सूक्त : [जल देवता ]ऋचा –शं नो देवीर् अभिष्टय आपो भवन्तु पीतयेशं योर् अभिस्रवन्तु नः ….- –ऋग्वेद —————————————– जल ज्योतिर्मय वह आँचल हैजहाँ खिला –वह सृष्टि कमल हैजल ही जीवन का सम्बल है । ’आपोमयं’ जगत यह सारायही प्राणमय…
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करुणावतार बुद्ध
यहाँ पढ़ेंसिद्धार्थ के गौतम बुद्ध बनने तक की घटना को आधार बनाकर रचित इन नाट्य प्रविष्टियों में विशिष्ट प्रभाव एवं अद्भुत आस्वाद है।
राजा हरिश्चन्द्र
यहाँ पढ़ेंसिमटती हुई श्रद्धा एवं क्षीण होते सत्याचरण वाले इस समाज के लिए सत्य हरिश्चन्द्र का चरित्र-अवगाहन प्रासंगिक भी है और आवश्यक भी।
सावित्री
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सौन्दर्य लहरी
यहाँ पढ़ेंसौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। इस ब्लॉग पर हिन्दी काव्यानुवाद सम्पूर्णतः प्रस्तुत है।
गीतांजलि : टैगोर
यहाँ पढ़ेंगुरुदेव टैगोर की विशिष्ट कृति गीतांजलि के गीतों का हिन्दी काव्य-भावानुवाद इस ब्लॉग पर प्रकाशित है। यह अनुवाद मूल रचना-सा आस्वाद देते हैं।
आलेख रूपांतर
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