स्वीकार कर लिया काँटों के पथ को पहचाना फ़िर भी जकड़ लिया बहुरूपी झूठे सच को कुछ…
नये वर्ष के आगमन पर बहुत कुछ संजोया है मन में। सम्भव है नए साज बनें हृदय…
फ़ैली हुई विश्वंजली में, प्रेम की बस भीख दे दो विरह बोझिल अंत को स्नेहिल मिलन की…
बज गयी दुन्दुभि, परिवर्तन आने वाला है। है निस्सीम अगाध अकल्पित, समय शून्य का यह विस्तार प्रिय…
क्यों न मेरा यह हृदय मूक-सा रहने दिया? क्या करुँ उस अग्नि का निशि-दिन जले जो इस…
कहाँ हो मेरे मन के स्वामी आओ, मैं हूँ एक अकिंचन जग में प्रेम-सुधा बरसाओ। आज खड़ा…