सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 16-18)
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर कवीन्द्राणां चेतःकमलवनबालातपरुचिंभजन्ते ये सन्तः कतिचिदरुणामेव भवतीम् ।विरिंचिप्रेयस्यास्तरुणतरश्रृंगारलहरी-गभीराभिर्वाग्भिर्विदधति सतां रंजनममी ॥16॥ कमल कानन सदृशकविवर चित्त किसलय पुट विकासिनितुम नवल रवि सदृशकोई हर्षदा अरुणिम विभा होंबाल दिनमणि सम तुम्हारी कान्ति काजो स्मरण करते, धन्य वे मतिमानउनकी…