ब्रश करती तुम्हारी अंगुलियाँ (कविता)
कितना सुंदर हैब्रश करती तुम्हारी अंगुलियों का कांपनाकभी सीधे,कभी ऊपर-नीचेकभी धीमी…
प्रेम प्रलाप
मेरे प्रिय! हर घड़ी अकेला होना शायद बेहतर विकल्प है तुम्हारी…
तुम्हीं मिलो, रंग दूँ तुमको, मन जाए मेरा फागुन
जग चाहे किसी महल में अपने वैभव पर इतराएया फिर कोई…
नवागत प्रविष्टियाँ
बतावत आपन नाम सुदामा: दो
पिछली प्रविष्टि बतावत आपन नाम सुदामा: एक से आगे। इस प्रविष्टि में द्वारिकापुरी में सुदामा की उपस्थिति एवं सखा कृष्ण…
सरस भजन: कब सुधिया लेइहैं मन के मीत
कब सुधिया लेइहैं मन के मीत: प्रेम नारायण पंकिल कब सुधिया लेइहैं मन के मीत, साँवरिया काँधा। कहिया अब बजइहैं…
बतावत आपन नाम सुदामा: एक
दृश्य प्रथम: सुदामा की कुटिया (सुदामा की जीर्ण-शीर्ण कुटिया। सर्वत्र दरिद्रता का अखण्ड साम्राज्य। भग्न शयन शैय्या। बिखरे भाण्ड, मलिन…
नल दमयंती: दमयंती स्वयंवर
दमयंती स्वयंवर : पंचम दृश्य (दमयंती स्वयंवर का महोत्सव। नृत्य गीतादि चल रहे हैं। राजा महाराजा पधार रहे हैं। सब…
नल दमयंती: स्वयंवर की तैयारी
नल: (उसकी बाहें पकड़कर सम्हालते हुए तथा आँसू पोंछते हुए) सुकुमारी! रोना अशुभ है, अतः मत रोओ। यदि मेरे अपराध…
नल दमयंती: प्रथम मिलन
नल दमयंती: तृतीय दृश्य (रनिवास का दृश्य। नल चकित होकर रनिवास देखता है। दमयंती का प्रवेश।) दमयंती: हे वीराग्रणी! आप…