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नवागत प्रविष्टियाँ

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 46-50)

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद भ्रुवौ भुग्ने किं चिद्‌भुवनभयभंगव्यसनिनित्वदीये नेत्राभ्यां मधुकररुचिभ्यां धृतगुणम्‌ ॥धनुर्मन्ये सव्येतरकरगृहीतं रतिपतेःप्रकोष्ठे मुष्टौ च स्थगयति निगूढान्तरमुमे ॥४६॥कुटिल…

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 41-45)

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

सौन्दर्य लहरी आदि शंकर की अप्रतिम सर्जना का अन्यतम उदाहरण है। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य…