Poetic Love Letters
A Close Capture of Hand-written Love-Letters

स्नातक कक्षा में पढ़ते हुए कई किस्म के प्रेम पत्र पढ़े। केवल अपने ही नहीं, दूसरों के भी। अपनी इच्छा से नहीं, दूसरों की इच्छा से। उनमें से कुछ ऐसे थे जिन्होंने बहुत भीतर तक अपनी पैठ बना ली। उस भाव को स्थाई प्रतीति देने के लिए मैंने उनके काव्यानुवाद का यत्न किया। पत्र दस या ग्यारह की संख्या में थे। मैंने क्रमशः उनका काव्यानुवाद कर दिया। यहाँ ये अनुवाद लिखना उन पत्रों के गोपन भावों के प्रकाशन का निंदा योग्य प्रयास न माना जाय। हृदय की गहरी अनुभूतियों से उपजी ये अभिव्यक्तियाँ मुझ जैसे कई लोगों की मनोवृत्तियों की वाहिका हैं। इन पत्रों की पढ़न को प्रेमी हृदयों के लिए साधु भाव माना जाय, ऐसी प्रार्थना है। मैं क्रमशः कुछ निश्चित अंतराल पर इन काव्य-पत्रों को लिखूंगा, भावित हृदय की अपेक्षा के साथ –

प्रेम पत्रों का प्रेम पूर्ण काव्यानुवाद: एक

मेरे चिंतन के तार सो गए, अथ-इति दोनों एक हो गए।
समझ खो गयी क्या कहना है
मुझको क्या चुप ही रहना है मन में हाहाकार मचा है,
जो मेरा था हुआ आपका
जो अब है वह दिया आपका फिर कहना क्या और बचा है;
मुझको कहना कब आता था
शब्द सदा से भरमाता था पर फ़िर भी विश्वास आपका,
ना जाने कितना मनमोहन
निज करुना का ही यह दोहन यह आग्रह-सा हास आपका;
मेरे उर में अभिव्यंजन के सजल आपने बीज बो दिए-
मेरे चिंतन के तार सो गए, अथ-इति दोनों एक हो गए ।

प्रेम पत्रों के प्रेम पूर्ण काव्यानुवाद: सभी प्रविष्टियाँ

Last Update: June 19, 2021

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