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काश!
मेरा मन
सरकंडे की कलम-सा होता
जिसे छील-छाल कर,
बना कर
भावना की स्याही में
डुबाकर
मैं लिखता
कुछ चिकने अक्षर
मोतियों-से,
प्रेम के।

अतिरिक्त कविता लिंक: मत पूछना वही प्रश्न

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Capsule Poetry, Love Poems,

Last Update: September 20, 2025