दर्द सहता रहा उसे,
सहता है अब तलक।
दर्द ने अपनी हस्ती भर उसे चाहा
उसकी शिराओं, मांसपेशियों से होते- होते
उसके मस्तिष्क, उसके हृदय तक
अपनी पैठ बना ली,
तब उसने इस दर्द को
अपना नाम ही दे दिया।
दर्द उसका नाम लेकर
अनगिन स्थानों पर गया
उसकी खातिरदारी में कहीं कमी नहीं हुई।
सबने पूछा दर्द से कि
रिश्ता क्या है तुम्हारा उससे
कि तुमने अपना नाम ही बदल लिया उससे।
मुस्कराकर दर्द ने सुनाई अपनी कथा –
कथा, जो उसकी अस्मिता से जुडी थी,
जिसने जिंदा रखा था दर्द को
अभी भी दुनिया के लिए।
सबको मालूम है वह कहानी
कहीं न कहीं , कभीं न कभीं
लोगों की कहावतों, गुमनाम गीतों,
डायरियों और आंसुओं में
लगातार कही जाती है वह।
वस्तुतः दर्द का बदला हुआ नाम
कुछ और नहीं- प्यार है।
वस्तुतः दर्द का बदला हुआ नाम
कुछ और नहीं – प्यार है ।
-क्या बात है, बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!
प्यार मुबारक!
अच्छा लगा यह तेवर भी !
प्यार की चाह संसार में किसे नहीं ?
कविता अच्छी लगी …
सबने पूछा दर्द से कि
रिश्ता क्या है तुम्हारा उससे
कि तुमने अपना नाम ही बदल लिया उससे ।
achchaa likhaa hai ..badhai
सबको मालूम है वह कहानी
कहीं न कहीं , कभीं न कभीं
लोगों की कहावतों, गुमनाम गीतों,
डायरियों और आंसुओं में
लगातार कही जाती है वह
कविता अच्छी लगी …
अब न बालों और गालों की कथा लिखिए,
देश लिखिए, देश का असली पता लिखिए।
(तरकश,ऋ.दे.श.)
वस्तुतः दर्द का बदला हुआ नाम
कुछ और नहीं – प्यार है ।
सुन्दर लिखा आपने ..
रचनाओं के साथ साथ उनके अवतरण का वास्तविक समय देना भी यदि उचित हो तो एसा करने का कष्ट करें ! कविता अच्छी है !
सच्ची बोलता हूँ इससे पहले भी जो टिप्पणी की वहाँ भी दर्द और प्यार था . क्या दोनों का कोई लेना देना है 🙂
वस्तुतः दर्द का बदला हुआ नाम
कुछ और नहीं – प्यार है ।
अरे हिमाशूं जी बहुत ही गहरी बात लिख दी आप ने अपनी इस कविता मै.
धन्यवाद
Atyant bhavpurna.Badhai.