Jyoti (Photo credit: soul-nectar) |
तुम ही पास नहीं हो तो इस जीवन का होना क्या है?
मेरे मन ने खूब सजाये दीप तुम्हारी प्रेम-ज्योति के
हुआ प्रकाशित कण-कण अन्तर गूंजे गान स्नेह प्रीति के
पर जो यथार्थ थे, स्वप्न हुए, तो अब बाकी खोना क्या है?
तुम ही पास नहीं हो तो इस जीवन का होना क्या है?
तेरे मधु-उपकारों से ही अब तक जीवन चलता आया
तुम हो तब ही प्राण-वायु है, तुममें तम-सा घुलता आया
तुम हो नहीं, कहाँ जीवन है? अब इसको ढोना क्या है?
तुम ही पास नहीं हो तो इस जीवन का होना क्या है?
सोचा था तेरे प्रेम बीज बोऊँगा उर के अंचल में
फ़िर तरु निकलेंगे दीर्घकाय सुख झूलेगा मन चंचल में
पर जब माटी ही उसर हो तो बीजों का बोना क्या है?
तुम ही पास नहीं हो तो इस जीवन का होना क्या है?
शाबाश ! कविता अच्छी बन पडी है . और समझ में भी आगई 🙂
तुम ही पास नहीं हो तो इस जीवन का होना क्या है ?
बहुत भावप्रवण ! और यह भी अच्छी बात हुई की विवेक जी को आपकी पोस्ट समझ में आयी ! मैं आप और उनके बीच चल रही संवादहीनता से चिंतित था ! पर दोनों ही दोषी नही थे इसलिए मैं मौन भाव से परिस्थिति का अनुसरण कर रहा था-आज खुशी हुई ! हिमांशु जी तो अपना स्तर नही गिरा सकेंगे -विवेक जी को ही कष्ट उठाना होगा ,मौके की नजाकत को देखते हुए उठना होगा !
बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने .
धन्यवाद
aaj pahli baar aaya hoon aapke blog par , aapne bahut hi acchi kavita likhi hai …
तुम ही पास नहीं हो तो इस जीवन का होना क्या है ?
iske baad kahne ko kuch aur bachata hi nahi hai ..
aapko badhai
Pls visit my blog for new poems..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
himanshu ji
hamesha ki tarah bahut behtareen rachna
सोचा था तेरे प्रेम बीज बोऊँगा उर के अंचल में
फ़िर तरु निकलेंगे दीर्घकाय सुख झूलेगा मन चंचल में
पर जब माटी ही उसर हो तो बीजों का बोना क्या है ?
तुम ही पास नहीं हो तो इस जीवन का होना क्या है ?
ye panktiyaan antar ko chhooti hain
wish u all the best for future !!