आपके हँसने में
छन्द है
सुर है
राग है,
आपका हँसना एक गीत है।
आपके हँसने में
प्रवाह है
विस्तार है
शीतलता है,
आपका हँसना एक सरिता है।
आपके हँसने में
शन्ति है
श्रद्धा है
समर्पण है,
आपका हँसना एक भक्ति है।
आपके हँसने में
स्नेह है
प्रेम है
करुणा है,
आपका हँसना एक भाव-तीर्थ है।
आपके हँसने में
आपका विचार है
अस्तित्व है
रहस्य है,
आपका हँसना स्वयं आप हैं।
मेरे जीवन में
आपकी तरलता है
स्निग्धता है
सम्मोहन है,
मेरा जीना आपका हँसना है।
अब लीजिए मैं हंसता हूँ तो लोग कहते हैं की यार इतना हंसते क्यों हो. 🙂
मेरे जीवन में
आपकी तरलता है
स्निग्धता है
सम्मोहन है,
मेरा जीना आपका हँसना है।
बहुत बढिया!
मेरे जीवन में
आपकी तरलता है
स्निग्धता है
सम्मोहन है,
मेरा जीना आपका हँसना है।
बहुत बढिया!!
मेरे जीवन में
आपकी तरलता है
स्निग्धता है
सम्मोहन है,
मेरा जीना आपका हँसना है।
बढ़िया लगी यह
हँसने के ऊपर तो आपने बहुत अच्छी रचना लिख डाली …
अनिल कान्त
मेरी कलम – मेरी अभिव्यक्ति
waah bahutsundar
सुन्दर मनोभिव्यक्ति!
“मेरा जीना आपका हँसना है।” लाजवाब रचना. अब हम जैसे तो पुराने गानों से ही काम चलाएंगे – “जी चाहता है चूम लूँ तेरी नज़र को मैं” आभार.
aapne aachi kavita likhi hai.
बहुत सुंदर …इसलिए हंसते रहना चाहिए्….पर लोग समझते ही नहीं।
हाँ मेरा हँसना ऐसा ही है 🙂
हिमाशु जी उनके हंसने मै हमारा फ़ंसना भी तो है.
बहुत सुंदर कविता लिखी.
धन्यवाद
बहुत खूब। हम मुस्करा रहे हैं।
वाह कितने आयामों से देखा आपने
मैं भी मुस्कुराते हुए टिपिया दूँ हिमांशु जी
another good poem nice choice of words