R.N.Tagore |
Geetanjali: R.N.Tagore
I ask for a moment’s indulgence to
Hindi Translation: Pankil
अनुमति दे दो प्रियतम तेरे पास बैठ जाऊँ कुछ क्षण
शेष हस्तगत कर्मों का पीछे कर लेंगें सम्पादन ।
वृथा अछोर कर्म सागर में श्रम करते–करते हारा
स्वेद–सिक्त नित श्रमित सुखी हो सका नहीं मन बेचारा
शान्ति तृप्ति है कहां नाथ बिन किये तुम्हारा मुख–दर्शन
अनुमति दे दो प्रियतम तेरे पास बैठ जाऊँ कुछ क्षण ॥
ऊष्णोच्छ्वास मुखर ग्रीष्मातप झांक गया है वातायन
इठलाती पुष्पिता लता पर मधुमाखी करती गायन
कैसे छोड़ूं इस क्षण तेरा प्रिय मनसायन सिंहासन
अनुमति दे दो प्रियतम तेरे पास बैठ जाऊँ कुछ क्षण ॥
बैठ समीप बहा दूं प्रियतम गीत समर्पण की सरिता
हो समीप स्थित नाथ निहारूं निर्निमेष तेरा आनन
अनुमति दे दो प्रियतम तेरे पास बैठ जाऊँ कुछ क्षण ॥
thanks for making me read this
बहुत खूब.. टैगोर की गहराई को समेटने वाला अद्वितीय अनुवाद.. होली की शुभकामनाएं
jitni achchhi kavita,utna hi adwitiy anuwaad.
मुझे तो कविता से बढियां उसका भावानुवाद लगा -मन आनंदित हो गया !
वृथा अछोर कर्म सागर में श्रम करते-करते हारा
स्वेद-सिक्त नित श्रमित सुखी हो सका नहीं मन बेचारा
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पंक्तियों ने मन मोह लिया।
अति सुंदर कविता.
धन्यवाद
आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है
आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
regards
गज़ब की अनुवाद छ्मता बहुत बहुत धन्यवाद