(Photo credit: soul-nectar) |
मैं रोज सबेरे जगता हूँ
दिन के उजाले की आहट
और तुम्हारी मुस्कराहट
साफ़ महसूस करता हूँ।
चाय की प्याली से उठती
स्नेह की भाप चेहरे पर छा जाती है।
फ़िर नहाकर देंह ही नहीं
मन भी साफ़ करता हूँ,
फ़िर बुदबुदाते होठों से सत्वर
प्रभु-प्रार्थना के मंद-स्वर
कानों से ही नहीं, हृदय से सुनता हूँ।
अगरबत्ती की नोंक से उठता
अखिल शान्ति का धुआँ मन पर छा जाता है।
फ़िर दिन की चटकीली धूप में
राह ही नहीं, चाह भी निरखता हूँ,
देख कर भी जीवन की अथ-इति दुविधा
समझ कर भी तृष्णा की खेचर-गति विविधा
मैं औरों से नहीं, खुद से ठगा जाता हूँ।
तब कसकीली टीस से उपजी
वीतरागी निःश्वास जीवन पर छा जाती है।
फ़िर गहराती शाम में
उजास ही नहीं, थकान भी खो जाती है,
तब दिन की सब यंत्र-क्रिया
लगती क्षण-क्षण मिथ्या
सब कुछ काल-चक्र-अधीन महसूसता हूँ।
तत्क्षण ही अपने सम्मोहक-लोक से उठकर
सपनों से पगी नींद आँखों में छा जाती है।
मैं रोज सबेरे जगता हूँ
और रात को सो जाता हूँ,
पता नहीं कैसे इसी दिनचर्या से
निकाल कर कुछ वक्त
इसी दिनचर्या को निरखने के लिये,
अलग होकर अपने आप से
देखता हूँ अपने आप को।
महसूस करता हूँ,
सब तो कविता है।
सब कविता कहाँ ? यह जो लिखा कविता तो वही है जो और भोगा वह यथार्थ !
और इसी आपाधपी में एक दिन जीवन निःशेष हो जाता है ! आपको इस नश्वरता का अहसास तो है -बढियां लिखा !
बहुत खूब। हे हैं कि-
मोती मुझे मिला है समन्दर खखोड़कर।
साहिल पे रहकर ये दौलत नहीं मिली।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
http://www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
मैं रोज सबेरे जगता हूँ
दिन के उजाले की आहट
और तुम्हारी मुस्कराहट
साफ़ महसूस करता हूँ ।
चाय की प्याली से उठती
स्नेह की भाप चेहरे पर छा जाती है ।
उत्तम अभिव्यक्ति। साधू
हर आत्मावलोकन एक कविता है।
aarma ko chuti sunder rachana badhai
aatma ko chuti sunder rachana badhai
बहुत आत्मिक ज्ञान प्राप्त कराती हुई रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत खूब ………..हिमांशु जी ….सुबह से रात तक बीता हुवा समय एक कविता ही है ……..
हिमांशु जी , बेहद खूबसूरत रचना ।
हमारी दशा तो और मेकेनिकल है। रोज सवेरे उठकर दिन की मालगाड़ियों का टार्गेट तय करते हैं, फिर रात दस बजे जोड़ लगा कर सोते हैं। अगले दिन का अनुमान ले कर। डे-आफ्टर डे!
वाह हिमांशु भाई बहुत ही अच्छी रचना बधाई हो
इस कविता को पढ़कर मजा आया ! अच्छी लगी !!
बहुत सुन्दर शब्दों मे अपनी बात कही है ।
bahut achchee kavita