अथ-इति By Himanshu Pandey May 2, 2009 1 Min Read Share on Facebook Share on Twitter Share on Pinterest Share on Telegram Share on Whatsapp निवृत्ति की चाह रहीअथ से भीइति से भी ।अथ पर ही अटका मनइति को तो भूल गयागति भी अनजान हुई ।Categorized in: Ramyantar, Last Update: June 19, 2021Tagged in: Short Poem, कविता
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कम शब्द – गहरी बात।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सुंदर और गहन अभिव्यक्ति.
रामराम.
मेरी भी स्थिति इन दिनों कुछ ऐसी ही चल रही है -मैंने इसे वैराग्य के रूप में लिया है !
यह तो अति हो गयी.
अथ इति के बहाने एक गम्भीर कविता पढने को मिली।
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TSALIIM
SBAI
हिमान्शु जी,
आपकी कविताएं कम शब्दों में ही बड़ी बात कह जाती हैं। साधुवाद।
आपने मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहबर्द्धन किया। आपका शुक्रिया।
छोटे छोटे शब्दों में छुपा कर गहरी बात कही है…………