कई बार निर्निमेषअविरत देखता हूँ उसे यह निरखनाउसकी अन्तःसमता को पहचानना है मैं महसूस करता हूँनदी बेहिचक…
आजकल एक किताब पढ़ रहा हूँ – आचार्य क्षेमेन्द्र की औचित्य-दृष्टि। किताब बहुत पुरानी है- आवरण के…
(१)दिनों दिन सहेजता रहा बहुत कुछजो अपना था, अपना नहीं भी था,मुट्ठी बाँधे आश्वस्त होता रहाकि इस…
तीज पर्व पर गाये जाने वाला झूला-गीत सुनिये । अभी अचानक ही यू-ट्यूब पर भ्रमण करते पा…
मुझसे मेरे अन्तःकरण का स्वत्वगिरवी न रखा जा सकेगाभले ही मेरे स्वप्न,मेरी आकांक्षायेंसौंप दी जाँय किसी बधिक…
ऋग्वेद में वर्णन आया है : ‘शिक्षा पथस्य गातुवित’, मार्ग जानने वाले , मार्ग ढूढ़ने वाले और…