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October 2009

General Articles, Religion and Spirituality

छठ पूजा : परम्परा एवं सन्दर्भ

Chhath Pooja

छठ पूजा के सन्दर्भ में यह समझना होगा कि हमारी परम्परा में विभिन्न ईश्वरीय रूपों की उपासना के लिए अलग-अलग दिन-तिथियों का निर्धारण है। जैसे गणेश पूजा के लिए चतुर्थी, विष्णु-पूजा के लिए एकादशी आदि। इसी प्रकार सूर्य के लिए…

Ramyantar, Translated Works

मुझे देखो …

वहाँ देखो, एक पेंड़ है जगमगाता हुआ उसकी शाखो में चिराग फूलते हैं, मदहोश कर देने वाली गंध-सी रोशनी फैलती है चारों ओर, आइने-से हैं उसके तने जिनमें सच्चापन निरखता है हर शख़्स और अशआर की तरह हैं उसकी पत्तियाँ…

Ramyantar, Translated Works

एक दीया गीतों पर रख दो …

एक दिया गीतों पर रख दो, एक दिया जँह सुधियाँ सोयीं एक दिया उस पथ पर रख दो जिस पर हो अनुरागी कोई । एक दिया पनघट पर रख दो एक दिया बँसवट के पास एक दिया तालों में रख…

Ramyantar

रचना क्या है, इसे समझने बैठ गया मतवाला मन

कविता ने शुरुआत से ही खूब आकृष्ट किया । उत्सुक हृदय कविता का बहुत कुछ जानना समझना चाहता था । इसी अपरिपक्व चिन्तन ने एक दशक पहले कुछ पंक्तियाँ लिखीं । मेरी शुरुआती छन्द की रचनाओं के प्रयास दिखेंगे यहाँ…

Contemplation, चिंतन

तुमने मुझे एक घड़ी दी थी

तुम्हें याद है… तुमने मुझे एक घड़ी दी थी- कुहुकने वाली घड़ी। मेरे हाँथों में देकर मुस्कुराकर कहा था, “इससे वक्त का पता चलता है। यह तुम्हें मेरी याद दिलायेगी। हर शाम चार बजे कुहुक उठेगी। आज भी….चार ही न…

Article on Authors

के० शिवराम कारंत : मूकज्जी का मुखर सर्जक

के० शिवराम कारंत Kota Shivaram Karanth – भारतीय भाषा साहित्य का एक उल्लेखनीय नाम, कन्नड़ साहित्य की समर्थ साहित्यिक विभूति, बहुआयामी रचना-कर्म के उदाहरण-पुरुष!  सर्जना में सत्य और सौन्दर्य के प्रबल जिज्ञासु कारंत जीवन को सम्पूर्णता और यथार्थता में निरखने…

Hindi Ghazal, Ramyantar, Songs and Ghazals

मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ…

मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें । मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति की कहो पाषाण से हमको सजा लें । मैं झिझक हूँ, हास हूँ, मनुहार हूँ प्रणय के राग में इनका मजा लें ।…

Ramyantar

याद कर रहा हूँ तुम्हें, सँजो कर अपना एकान्त …

उन दिनों जब दीवालों के आर-पार देख सकता था मैं अपनी सपनीली आँखों से, जब पौधों की काँपती अँगुलियाँ मेरी आत्मा को सहला जाती थीं, जब कुहासे की टटकी बूँदे बरस कर भिंगो देती थीं मन-वसन, जब पारिजात-वन का तारक-पुष्प…

Stories

बालक की छतरी

एक समय महाराष्ट्र में वर्षा न होने से भीषण जलकष्ट हुआ; पशु और मनुष्य दोनों ही त्रस्त हो गये। तब सभी ने मिलकर वर्षा के लिये ईश्वर से प्रार्थना करने का निश्चय किया! एक निश्चित स्थान पर सभी एकत्र हुए।…