By all means they try to hold me secure
who love me in this world. But it is
otherwise with thy love which is greater than
theirs, and thou keepest me free.
Lest I forget them they never venture to
leave me alone. But day passes by after
day and thou art not seen.
If I call not thee in my prayers, If I keep
not thee in my heart thy love for me
still waits for my love. (Geetanjali : R.N.Tagore)
मेरे जग प्रिय रखते मुझको सब भाँति सुरक्षित बचा-बचा
पर विलग महत्तर प्रीति तुम्हारी मेरे हित स्वातंत्र्य रचा ।
उनमें न कभीं साहस ऐसा मुझको वे एकाकी छोड़ें
डर है कि न मैं भूलूँ उनको मन ही उनसे नाता तोड़े
पर तुम न दीख पड़ते प्रतिदिन बीतता जा रहा नाच नचा-
पर विलग महत्तर प्रीति तुम्हारी मेरे हित स्वातंत्र्य रचा ।
निज पंकिल विनय प्रार्थनाओं में भले न तुम्हें बुलाऊँ मैं
अपने अंतस्तल बीच तुम्हें प्राणेश न भले बिठाऊँ मैं
तव प्रेम तदपि मम प्रेम हेतु पथ जोहा करता रचा पचा –
पर विलग महत्तर प्रीति तुम्हारी मेरे हित स्वातंत्र्य रचा ।
भावानुवाद संभव है..देख लिया मैंने..
अच्छी कोशिश और
शब्द – चयन भी यथेष्ट …
अच्चा लगा … …
आपके इस प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
——–
बहुत घातक है प्रेमचन्द्र का मंत्र।
हिन्दी ब्लॉगर्स अवार्ड-नॉमिनेशन खुला है।
बहुत अच्छा लगा अनुवाद धन्यवाद्
आपके इस कार्य की प्रशंसा करने की लिए जो भी कहूँ…. डर है …कम हो ही जाएगा…!!
हे विनय श्रेष्ठ !
कवि से यह अरज करो
जब अंग्रेजी अनुवाद का भावानुवाद ऐसा हो सकता है !
तो मूल बंगला से हिन्दी प्रवाह
और निर्झर निर्मल हो सकता है।
.. बस अरज है।
बंगला के स्पर्श ने हमें निराला दिया।
शायद ब्लॉगरी दिखा दे एक और निराला !
बेहद रोचक
हृदयंगम कराने को आभार ।
गिरिजेश भाई की बार पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
bahut hi badhiya …….padhwane ka shukriya.
बहुत ही अच्छा भावानुवाद!
प्रशंसा कैसे करुं!
शब्द कम एवं छोटे लगते हैं।
आशा है आगे भी श्रेष्ठ भावानुवाद मिलते रहेंगें।