Tagore (Source:google)

In the deep shadows of the rainy July,
with secret steps, thou walkest,
silent as night, eluding all watchers.

Today the morning has closed its eyes,
heedless of the insistent calls of
the loud east wind, and a thick veil
has been drawn over the ever-wakeful blue sky.

The woodlands have hushed their songs,
and doors are all shut at every house.
Thou art the solitary way-farer in
these deserted street. Oh my
only friend, my best beloved,
the gates are open in my house-
do not pass by like a dream.   (Geetanjali : Tagore)

घन बोझिल पावसी जुलाई के छाया कर नीरद छाये
निशिवत मौन दबे पद चुपके बन्धन तोड़ प्राण तुम आये .
सनन् सनन् बहती पुरवइया किया प्रात ने मुद्रित लोचन
सतत जागृत नील गगन पर घिरा सघन नीरद अवगुण्ठन
कोलाहल करते पुकारमय पूर्व प्रभंजन के स्वर छाये
निशिवत मौन दबे पद चुपके बन्धन तोड़ प्राण तुम आये .
गूँजा गीत विपिन अवनी का मुद्रित सब पट सकल निलय के
शून्य गली में इस एकाकी तुम्हीं भ्रमणकर्त्ता परिचय के
परम सुहृद हे प्रियतम तुम ही भ्रमण कर रहे दायें बायें
निशिवत मौन दबे पद चुपके बन्धन तोड़ प्राण तुम आये.
 हे सुनसान पंथ के सहचर प्रिय क्या तुमने दिया भुला है
सबके निलय कपाट बन्द पर प्रियतम मेरा द्वार खुला है
‘पंकिल’ जीवन धन सपना सम निकल न जाना चरण बढ़ाये

निशिवत मौन दबे पद चुपके बन्धन तोड़ प्राण तुम आये.    (‘पंकिल’ – मेरे बाबूजी)