Ramyantar

सब कुछ अदभुत …

अद्भुत छलाँग । अद्भुत फिल्मांकन । अद्भुत प्रस्तुति । यहाँ देखा, इच्छा हुई, साभार प्रस्तुत है –

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हिन्दी दिवस पर ’क्वचिदन्यतोऽपि”

हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं सहित क्वचिदन्यतोऽपि पर की गयी टिप्पणी प्रसंगात यहाँ प्रस्तुत कर दे रहा हूँ –  “देर से देख रहा हूँ, पर हिन्दी दिवस के दिन देख रहा हूँ – संतोष है । इसका कुछ निहितार्थ भी जाने…

Ramyantar, Translated Works

बचपन, यौवन, वृद्धपन….

बचपन ! तुम औत्सुक्य की अविराम यात्रा हो, पहचानते हो, ढूढ़ते हो रंग-बिरंगापन क्योंकि सब कुछ नया लगता है तुम्हें । यौवन ! तुम प्रयोग की शरण-स्थली हो, आजमाते हो, ढूँढ़ते हो नयापन क्योंकि सबमें नया स्वाद मिलता है तुम्हें…

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कानून ताज़ीरात शौहर : भारतेंदु हरिश्चंद्र – 3

  भारतेन्दु हरिश्चन्द्र  कानून ताज़ीरात शौहर  आठवाँ बाब (प्रकरण) जुर्म बरखिलाफ अमन (शांति) शहर  दफा (24) जो शख्स अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को जो जोरू की राय के बरखिलाफ हैं अक्सर अपने मकान में जमा करेगा या ज्यादातर उनकी दावत…

Ramyantar

सम्पूर्ण प्रविष्टियों की सूची

यह पृष्ठ मेरी सम्पूर्ण प्रविष्टियों को उनकी स्थायी वेब-लिंक्स (Post Permalinks), प्रकाशन दिनांक (Date of Posting) एवं शीर्षक-श्रेणियों (Labels-Categories) के साथ एकत्र प्रदर्शित करता है। किसी भी प्रविष्टि-शीर्षक पर कर्सर ले जाने पर प्रविष्टि का संक्षिप्त परिचय (प्रारंभिक कुछ पंक्तियाँ)-…

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कानून ताज़ीरात शौहर : भारतेंदु हरिश्चंद्र – 2

भारतेन्दु हरिश्चंद्र कानून ताज़ीरात शौहर  चौथा बाब (प्रकरण) मुस्तसनियात (मुक्तगण) दफा (8) हर बशर (मनुष्य) जो खुदा के यहाँ से जामय (वस्त्र) औरत पहिना से उतारा गया है वह इस कानून से मुस्तसना है । दफा (9) कोई जुर्म मुन्दर्जे…

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क़ानून ताज़ीरात शौहर (पति दंड विधान ) : भारतेंदु हरिश्चन्द्र के जन्मदिवस पर

अपने समय की विरलतम अभिव्यक्ति, सशक्त वाणी भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्मदिवस है आज । भारतेन्दु आधुनिक हिन्दी के जन्मदाता और बहुआयामी, क्रान्तिकारी रचनाधर्मिता के विराट प्रतीक-पुरुष हैं । कुछ भी नहीं छूटा है इस सर्वतोमुखी प्रतिभा से । कर्तृत्व की…

वृक्ष-दोहद

रमणी के नर्म वाक्यों से फूल उठा मंदार: वृक्ष दोहद-8

मुझे क्षण-क्षण मुग्ध करती, सम्मोहित करती वृक्ष दोहद की चर्चा जारी है। कैसा विश्वास है कि वयःसंधि में प्रतिबुद्ध कोई बाला यदि बायें पैर से अशोक को लताड़ दे (मेंहदी लगाकर), या झुकती आम्र-शाख पर तरुण निःश्वांस छोड़ दे, स्मित…

Ramyantar

गुरु की पाती –

शिक्षक-दिवस पर प्रस्तुत कर रहा हूँ ’हेनरी एल० डेरोजिओ”(Henry L. Derozio) की कविता ’To The Pupils’ का भावानुवाद – मैं निरख रहा हूँ नव विकसनशील पुष्प-पंखुड़ियों-सा सहज, सरल मंद विस्तार तुम्हारी चेतना, तुम्हारे मस्तिष्क का, और देख रहा हूँ शनैः…