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निर्निमेष अविरत दृष्टि

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

कई बार निर्निमेषअविरत देखता हूँ उसे यह निरखनाउसकी अन्तःसमता को पहचानना है मैं महसूस करता हूँनदी बेहिचक बिन विचारेअपना सर्वस्व…

दिनों दिन सहेजता रहा बहुत कुछ …

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

(१)दिनों दिन सहेजता रहा बहुत कुछजो अपना था, अपना नहीं भी था,मुट्ठी बाँधे आश्वस्त होता रहाकि इस में सारा आसमान…