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क्या ब्लॉग साहित्य है? – मेरी हाजिरी

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

बिजली आ गयी। हफ्ते भर बाद। ’बूड़े थे पर ऊबरे’। बिजली की अनुपस्थिति कुछ आत्मबोध करा देती है। रमणियों की…

मैं कैसे प्रेमाभिव्यक्ति की राह चलूँ .

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

तुम आयेविगत रात्रि के स्वप्नों में श्वांसों की मर्यादा के बंधन टूट गयेअन्तर में चांदनी उतर आयीजल उठी अवगुण्ठन में…

शुभे! मृदु-हास्य से चम्पक खिला दो: वृक्ष दोहद-4

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

यह देखिये कि बूँदे बरसने लगीं हैं, सूरज की चातुरी मुंह छुपा रही है और ग्रीष्म ने हिला दिये हैं…

तू सदा ही बंधनों में व्यक्त है, अभिव्यक्त है

व्यथित मत होकि तू किसी के बंधनों में है, अगर तू है हवातू सुगंधित है सुमन के सम्पुटों में बंद…