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Capsule Poetry

Capsule Poetry, Poetry, Ramyantar

कल-आज आजकल

आज तुम      मेरे सम्मुख हो, मैं तुम्हारे ‘आज’ को ‘कल’ की रोशनी में देखना चाहता हूँ। देखता हूँ तुम्हारे ‘आज का कल’ ‘कल के आज’ से तनिक भी संगति नहीं बैठाता। कल-आज आजकल समझ में नहीं आते मुझे।

Capsule Poetry, Poetry, Ramyantar

और ……अंधेरा

(Photo credit: MarianOne) आज फिर एक चहकता हुआ दिन गुमसुमायी सांझ में परिवर्तित हो गया, दिन का शोर खामोशी में धुल गया, रात दस्तक देने लगी। हर रोज शायद यही होता है फिर खास क्या है? शायद यही, कि मेरे…

Capsule Poetry, Poetry, Ramyantar

छोटी सी कविता

विश्वास के घर में अमरुद का एक पेंड़ था एक दिन उस पेंड़ की ऊँची फ़ुनगी पर एक उल्लू बैठा दिखा, माँ ने कहा- ‘उल्लू’ पिता ने कहा- ‘अशुभ, अपशकुन’, फ़िर पेंड़ कट गया। अब, उल्लू तीसरी मंजिल की मुंडेर…

Capsule Poetry, Poetry, Ramyantar

मत पूछना वही प्रश्न

अगर कभी ऐसा हो कि कहीं मिल जाओ तुम तो पूछने मत लगना वही अबूझे, अव्यक्त प्रश्न अपने नेत्रों से क्योंकि मेरी चुप्पी फ़िर तोड़ देगी, व्यथित कर देगी तुम्हें और तब मैं भी खंड-खंड हो जाऊंगा अपने उत्तरों को…

Capsule Poetry, Love Poems, Ramyantar

काश! मेरा मन

काश! मेरा मन सरकंडे की कलम- सा होता जिसे छील-छाल कर, बना कर भावना की स्याही में डुबाकर मैं लिखता कुछ चिकने अक्षर – मोतियों-से, प्रेम के।

Capsule Poetry, Poetry, Ramyantar

अभी तक मैं चल रहा हूँ, चलता ही जा रहा हूँ

(१) “बहुत दूर नहीं बहुत पास “ कहकर तुमने बहका दिया मैं बहक गया । (२) “एक,दो,तीन…..नहीं शून्य मूल्य-सत्य है “ कहा फिर अंक छीन लिए मैं शून्य होकर विरम गया । (३) तुम हो जड़ों के भीतर, वृन्त पर…

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समय का शोर

जब ध्वनि असीम होकर सम्मुख हो तो कान बंद कर लेना बुद्धिमानी नहीं जो ध्वनि का सत्य है वह असीम ही है । चलोगे तो पग ध्वनि भी निकलेगी अपनी पगध्वनि काल की निस्तब्धता में सुनो समय का शोर तुम्हारी…