तुमने अपने हृदय में जो अनन्त वेदना समो ली है और उस वेदना को ही अपनी अमूल्य सम्पत्ति समझ उसे पोषित करते हो वस्तुतः उसी से प्राप्त प्रेम के अमूल्य कण मेरे निर्वाह के साधन हैं।
मैं एक मुक्त पक्षी हूं और वेदना-निःसृत यही प्रेम के कण चुगता हूं।
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मैं एक मुक्त पक्षी हूं
और वेदना-निःसृत
यही प्रेम के कण चुगता हूं ।
-बहुत उम्दा!!
सुन्दर रचना!
Very well done.. You have touched my mind, heart, and soul deeply, with just a few choice words.. If only to find this pain, this particle …
होली सचमुच होली !
प्रेम के अमूल्य कण
मेरे निर्वाह के साधन हैं ।
जिसके पास प्रेम के कण है उसको फिर क्या चाहिए बहुत सुन्दर लगी आपकी यह रचना
सुंदर रचना !
बहुत सुंदर रचना है यह तो …
मैं एक मुक्त पक्षी हूं
और वेदना-निःसृत
यही प्रेम के कण चुगता हूं ।
” very touching expressions”
regards
निशब्द हूँ मैं । बहुत ही बेहतरीन रचना । बधाई
bahut sunder himanshu ji, ye to bhoomika hai shayad.
सच में, मुक्त जीव ही प्रेम की सोचता है। सुन्दर पोस्ट।
अति सुंदर भाव लिये है आप की यह कविता.
धन्यवाद