तुमने अपने हृदय में
जो अनन्त वेदना
समो ली है
और उस वेदना को ही
अपनी अमूल्य सम्पत्ति समझ
उसे पोषित करते हो
वस्तुतः
उसी से प्राप्त
प्रेम के अमूल्य कण
मेरे निर्वाह के साधन हैं।

मैं एक मुक्त पक्षी हूं
और वेदना-निःसृत
यही प्रेम के कण चुगता हूं।

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Capsule Poetry,

Last Update: February 10, 2023