यूँ ही टहलते हुए नेट पर यहाँ पहुँच गया, शहनाई उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और सितार के धुरंधर…
मेरी अपनी एक ज़िद है रहने की, कहने की और उस ज़िद का एक फलसफ़ा । यूँ…
“बतलाओ माँ, बालमणि अम्मा मलयालम कविता की शीर्ष कवयित्री । प्रख्यात भारतीय अंग्रेजी साहित्यकार ’कमला दास’ की…
मुक्ति पर इतना विवाद, खुलेपन पर इतना हंगामा क्यों ? युग बीते, पर क्या तुम्हारी लोभ से…
बिहारी फाग-रंग चढ़ गया है इन दिनों सब पर ! नदा कर चुप बैठा हूँ, ये ओरहन…
घनानंद (राग केदारौ) फाग-रंग चढ़ गया है इन दिनों सब पर ! नदा कर चुप बैठा हूँ,…