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Ramyantar

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होली, होली, होली

मुझे वहीं ले चलो मदिर मन जहाँ दिवानों की मस्त टोली  होली, होली, होली। कभी भंग मे, कभी रंग में, कभीं फूल से खिले अंग में कभी राग में, कभी फाग में, कभीं लचक उठती उमंग में पीला कोई गाल…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 41-45)

सौन्दर्य लहरी आदि शंकर की अप्रतिम सर्जना का अन्यतम उदाहरण है। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक लीला का विभोर गान किया है सौन्दर्य लहरी में। इस ब्लॉग पर अब…

Ramyantar, Translated Works

निर्वाण षटकम्: आचार्य शंकर

आचार्य शंकर की विशिष्ट कृति सौन्दर्य लहरी के पठन क्रम में इस स्तोत्र-रचना निर्वाण षटकम् से साक्षात हुआ था । सहज और सरल प्रवाहपूर्ण संस्कृत ने इस रचना में निमग्न कर दिया था मुझे। बस पढ़ने के लिए ही हिन्दी…

Poetic Adaptation, Ramyantar, Translated Works, सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 36-40)

सौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। आचार्य शंकर की चमत्कृत करने वाली मेधा का दूसरा आयाम है यह काव्य। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक…

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ब्राह्मणत्व

ऋग्वेद के दसवें मण्डल के मंत्रों (सूक्त ३०-३४) का रचयिता कवष ऐलुष को माना जाता है। कवष ऐलुष जन्मना शूद्र थे, दासी माँ के बेटे, परन्तु अपनी प्रखर मेधा, अतुल अध्ययन एवं अनुकरणीय आचरण के कारण उन्हें आचार्यत्व प्राप्त हुआ।…

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अविरल गति: वीना की कविता

Chandraparbha River flow: Naugarh-Chandauli एक नदी अविरल गति से बहती जा रही थी इठलाती हुई, बलखाती हुई कुछ कहती जा रही थी सबको मोह रही थी कल-कल पायल की झनकार से खुश थी बहुत, न था उसे कोई कष्ट इस…

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तुम नहीं हो, पर यह ’नहीं’ ’नास्ति’ नहीं है..

“वहाँ उपेक्षा कायरता है जहाँ उचित प्रतिकार क्रोध ले न प्रतिशोध तो न हो सीता का उद्धार।” Photo1:Daniel Berehulak;Source:The Atlantic इतिहास के व्योम विस्तार में अनगिन घटनायें उल्कापिण्ड की तरह गिरती उतरती विलीन होती रहती हैं और समय चक्र उसे…