सखि ऊ दिन अब कब अइहैं, पिया संग खेलब होरी । बिसरत नाहिं सखी मन बसिया केसर…
तुम क्यों उड़ जाते काग नहीं ! व्याकुल चारा बाँटते प्रकट क्यों कर पाते अनुराग नहीं ।…
Photo Source : Google तुमने चुपके से मुझे बुलाया । पूजा की थाली लेकर साँझ सकारे हाथों…
मुझे मौन होना है तुम्हारे रूठने से नहीं, तुम्हारे मचलने से नहीं, अन्तर के कम्पनों से सात्विक…
आचारज जी का आह्वान सुन लपके ही थे कि तिमिरान्ध हो गये (यूँ फगुनान्ध होने को बुलाये…
’महाजनो येन गतः..’ वाला मार्ग भरी भीड़ वाला मार्ग है नहीं रुचता मुझे, जानता हूँ यह रीति-लीक-पिटवइयों…