आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने…
Arattai – संदेश और संवाद माध्यमों का स्वदेशी संस्करण
आत्मनिर्भर भारत के गुंजित स्वर में प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के…
आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
नवागत प्रविष्टियाँ
लंठ महाचर्चा : प्राणों के रस से सींचा पात्र बाउ
एक आलसी का चिट्ठा। गिरिजेश भईया का चिट्ठा, स्वनाम कृतघ्न आलसी का चिट्ठा। यहाँ पहुँचते ही होंगे अवाक! टिप्पणी को…
क्या दूर सुहृद ! प्रियतम ! निराश चित्कार रहा अम्बर अन्तर (गीतांजलि का भावानुवाद)
Art thou abroad on this stormy night on the journey of love, my friend ? The sky groans like one…
करुणावतार बुद्ध: चार
पिछली प्रविष्टियों करुणावतार बुद्ध- एक, दो, तीन के बाद चौथी कड़ी- तृतीय दृश्य (यशोधरा का शयनकक्ष। रात्रि का प्रवेश काल…
करुणावतार बुद्ध: तीन
करुणावतार बुद्ध सारथी: भूपाल! नगरी तो ऐसी सजी-सँवरी थी, जैसे अमरावती ही वहाँ उतर आयी हो। सुन्दरियाँ नृत्य-गीत में रत…
करुणावतार बुद्ध: दो
करुणावतार बुद्ध: (द्वितीय दृश्य ) (सारथी प्रवेश करता है । प्रणाम की मुद्रा में सिर झुकाकर राजा की आज्ञा माँगता…
करुणावतार बुद्ध: एक (नाट्य)
करुणावतार बुद्ध (प्रथम दृश्य ) (प्रातःकाल की बेला। महल में राजा और रानी चिन्तित मुद्रा में।) शुद्धोधन: सौभाग्यवती! कल…