आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने…
Arattai – संदेश और संवाद माध्यमों का स्वदेशी संस्करण
आत्मनिर्भर भारत के गुंजित स्वर में प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के…
आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
नवागत प्रविष्टियाँ
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की रचना क़ानून ताज़ीरात शौहर – भाग 2
हिन्दी साहित्य के उज्जवल नक्षत्र भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के बहुआयामी रचना-कर्म से चुनकर उनकी एक विशिष्ट और रोचक रचना क़ानून ताज़ीरात…
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की रचना – क़ानून ताज़ीरात शौहर (पति दंड विधान)
अपने समय की विरलतम अभिव्यक्ति, सशक्त वाणी भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्मदिवस है आज। भारतेन्दु आधुनिक हिन्दी के जन्मदाता और बहुआयामी,…
रमणी के नर्म वाक्यों से फूल उठा मंदार : वृक्ष दोहद-8
मुझे क्षण-क्षण मुग्ध करती, सम्मोहित करती वृक्ष दोहद की चर्चा जारी है। मंदार की चर्चा शेष थी अभी। कैसा विश्वास…
निर्निमेष अविरत दृष्टि
कई बार निर्निमेषअविरत देखता हूँ उसे यह निरखनाउसकी अन्तःसमता को पहचानना है मैं महसूस करता हूँनदी बेहिचक बिन विचारेअपना सर्वस्व…
एक शान्त मन ही व्रती होता है
आजकल एक किताब पढ़ रहा हूँ – आचार्य क्षेमेन्द्र की औचित्य-दृष्टि। किताब बहुत पुरानी है- आवरण के पृष्ठ भी नहीं…
हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाओं में मानवीय संवेदना
ऋग्वेद में वर्णन आया है : ‘शिक्षा पथस्य गातुवित’, मार्ग जानने वाले , मार्ग ढूढ़ने वाले और मार्ग दिखाने वाले,…
