आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने…
Arattai – संदेश और संवाद माध्यमों का स्वदेशी संस्करण
आत्मनिर्भर भारत के गुंजित स्वर में प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के…
आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
नवागत प्रविष्टियाँ
सुरूपिणी की मुख मदिरा से सिंचकर खिलखिला उठा बकुल: वृक्ष दोहद-7
कवि समय की प्रसिद्धियों में अशोक वृक्ष के साथ सर्वाधिक उल्लिखित प्रसिद्धि है बकुल वृक्ष का कामिनियों के मुखवासित मद्य…
जहाँ पतिततम महादीनतम संस्थित जन अज्ञात रे
Here is thy foot stool and there restthy feet where live the poorest,and lowliest, and lost. When I try to…
पर्यावरण के प्रति प्रेम का अनूठा प्रतीक-बंधन
राखी बीत गयी। बहुत कुछ देखा, सुना, अनुभूत किया- पर एक दृश्य अनावलोकित रह गया, एक अनुभव फिसल गया। मेरे…
मैं चिट्ठाकार हूँ, पर…
मैं चिट्ठाकार हूँ, पर … हिन्दी ब्लॉगिंग के धुरंधर लिक्खाड़ों की लेखनी पर सहज प्रकाश डालने का लघु उद्यम है।…
मैथिली शरण गुप्त के जन्मदिवस (3 अगस्त) पर
हिन्दी साहित्य के उज्ज्वल नक्षत्र राष्ट्रकवि श्री मैथिली शरण गुप्त का जन्मदिवस है कल। प्रस्तुत है उनका प्रसिद्ध और विख्यात…
मुंशी प्रेमचन्द की कहानी गमी : जन्मदिवस विशेष
मुंशी प्रेमचन्द की कहानी गमी मुझे जब कोई काम- जैसे बच्चों को खिलाना, ताश खेलना,, हारमोनियम बजाना, सड़क पर आने…