आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने…
Arattai – संदेश और संवाद माध्यमों का स्वदेशी संस्करण
आत्मनिर्भर भारत के गुंजित स्वर में प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के…
आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
नवागत प्रविष्टियाँ
ये हुई न टिप्पणी !
टिप्पणीकारी को लेकर काफी बातें करते रहने की जरूरत हमेशा महसूस होती है मुझे। मैं इस चिट्ठाजगत में टिप्पणीकारी के…
बस आँख भर निहारो मसलो नहीं सुमन को
बस आँख भर निहारो मसलो नहीं सुमन कोसंगी बना न लेना बरसात के पवन को । वह ही तो है…
ब्लॉगवाणी पर अभी कुछ कार्य, सुधार शेष है
ब्लॉगवाणी का चिट्ठा संकलकों में एक प्रतिष्ठित स्थान है। ज्यादातर चिट्ठों के अनेकों पाठक इस संकलक के माध्यम से ही…
अकेलापन
अज्ञेय की पंक्ति- “मैं अकेलापन चुनता नहीं हूँ, केवल स्वीकार करता हूँ”- मेरे निविड़तम एकान्त को एक अर्थ देती हैं।…
एक पेड़ चाँदनी लगाया है आँगने
बचपन से देवेन्द्र कुमार के इस गीत को गाता-गुनगुनाता आ रहा हूँ, तब से जब ऐसे ही कुछ गीत-कवितायें गाकर…
लू शुन (Lu Xun) ने कहा
Quote by Lu Xun यदि आप एक ही विषय पर काम करते रहें तो अवश्य ही उसके चरम तक जा…
