आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने…
Arattai – संदेश और संवाद माध्यमों का स्वदेशी संस्करण
आत्मनिर्भर भारत के गुंजित स्वर में प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के…
आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
नवागत प्रविष्टियाँ
महसूस करता हूँ, सब तो कविता है
(Photo credit: soul-nectar) मैं रोज सबेरे जगता हूँ दिन के उजाले की आहट और तुम्हारी मुस्कराहट साफ़ महसूस करता हूँ।…
चिट्ठाकार चर्चा, चिट्ठा चर्चा और चिट्ठा चर्चा
आपने पढ़ी होगी। अगर नहीं पढ़ी, तो यह रही अरविन्द जी की चिट्ठाकार चर्चा, इस चर्चा के एक कूट शब्द…
दीपावली की बधाई कविता : चलो दीया जलाएं
दीपावली की बधाई देते हुए अपने एक फौजी मित्र को शुभकामना-पत्र भेजा था। आज वह मुझ तक वापस आ गया।…
दिया राहु लिख चन्द्रमा लिखते-लिखते
Flowers (Photo credit: soul-nectar) कविता: प्रेम नारायण ’पंकिल’ जो बोया वही तो फसल काटनी है दिया लिख अमा पूर्णिमा लिखते-लिखते।…
बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम : कुछ मैं भी कहूँ
सबसे पहले स्पष्ट करूँ कि इस आलेख की प्रेरणा और प्रोत्साहन अरविन्द जी की टिप्पणी है, जो उन्होंने रीमा जी…
कविता और कविता का बहुत कुछ
१) कविता उमड़ आयी अन्तर्मन में जैसे उतर आता है मां के स्तनों में दूध। २) कविता का छन्दसध गया…