आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने…
Arattai – संदेश और संवाद माध्यमों का स्वदेशी संस्करण
आत्मनिर्भर भारत के गुंजित स्वर में प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के…
आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
नवागत प्रविष्टियाँ
अखिल शान्ति है तुम्हारा ध्यान
मैं देखना चाहता हूँ तुम्हें हर सुबह कि मेरा दिन बीते कुछ अच्छी तरह, कि मेरे कल्पना लोक की साम्राज्ञी…
भिखारी: नख-शिख वर्णन
कुछ दिनों पहले एक भिक्षुक ने दरवाजे पर आवाज दी। निराला का कवि मन स्मृत हो उठा। वैसी करुणा का…
कागजों में चित्र
बहुत पहले एक आशु कविता प्रतियोगिता में इस कविता ने दूसरी जगह पाई थी। प्रतियोगी अधिक नहीं थे, प्रतियोगिता भी…
रो उठे तुम!(कविता)
रुदन का एक दृश्य आंखों में भर गया। एक लडकी थी,रो रही थी। किसी ने उससे उसका हाथ मांग लिया…
एक आदमी, एक गुरु- हाँ, हाँ, ना,ना
मैंने तुम्हें औरतों से बतियाते कभीं नहीं देखाऔर न ही मर्दों से ऐसा सुना- ‘किसी औरत नेबड़ी अदब से तुम्हारा…
अनुभव: कुछ सन्दर्भ
एक बाग़ हैअनुभव काउसमें खिले हैं कुछ फूलये फूल बरसों का निदाघझेल कर बड़े हुएये फूल समय के शेष नाम…