बचपन ! तुम औत्सुक्य की अविराम यात्रा हो, पहचानते हो, ढूढ़ते हो रंग-बिरंगापन क्योंकि सब कुछ नया…
शिक्षक-दिवस पर प्रस्तुत कर रहा हूँ ’हेनरी एल० डेरोजिओ”(Henry L. Derozio) की कविता ’To The Pupils’ का…
मेरा एक विद्यार्थी ! या और भी कुछ । कई सीमायें अतिक्रमित हो जाती हैं । आज…
कई बार निर्निमेष अविरत देखता हूँ उसे यह निरखना उसकी अन्तःसमता को पहचानना है मैं महसूस करता…
(१)दिनों दिन सहेजता रहा बहुत कुछजो अपना था, अपना नहीं भी था,मुट्ठी बाँधे आश्वस्त होता रहाकि इस…
मुझसे मेरे अन्तःकरण का स्वत्वगिरवी न रखा जा सकेगाभले ही मेरे स्वप्न,मेरी आकांक्षायेंसौंप दी जाँय किसी बधिक…