क्यों न मेरा यह हृदय मूक-सा रहने दिया? क्या करुँ उस अग्नि का निशि-दिन जले जो इस…
कहाँ हो मेरे मन के स्वामी आओ, मैं हूँ एक अकिंचन जग में प्रेम-सुधा बरसाओ। आज खड़ा…
मैं लिख नहीं पा रहा हूँ कुछ दिनों से। ऐसा लगता है, एक विचित्रता भर गयी है…
Jyoti (Photo credit: soul-nectar) तुम ही पास नहीं हो तो इस जीवन का होना क्या है? मेरे…
न समझने की ये बातें हैं, न समझाने कीजिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की। पढ़ कर…
अभी-अभी पूजा उपाध्याय जी के ब्लॉग से लौट रहा हूँ। एक कविता पढ़ी- माँ के लिए लिखी…