बात, यदि अधूरी है
तो उसका अर्थ नहीं,
यदि संभावनायें हैं तो
उसे पूर्ण कर लेना व्यर्थ नहीं।
कहा था किसी ने
स्वीकार है मुझे भी-
“कविता करो न करो
कवि बन जाओ”
और अपनी इस सहज मनोदशा में
उस अदृश्य कविता में ही खो जाओ।
पर कवि जिसके लिये
“कविता एक कवच है, और
उसके होने जैसा ही सच है”-
क्या हर तन्हा रात को रो दिया करे
(जैसा वह अक्सर किया करता है,
अपनी कविताओं में)
किसी की याद में
कोई बात न कह पाने के मलाल से
या जिसका उत्तर न पा सके
ऐसे ही अनगिन सवाल से?
हर अधूरे सवाल का जवाब होती हैं कविता
आँख से जो बहा नहीं वो आंसूं होती हैं कविता
कभी कभी जो किसी से कहा नहीं वो शब्द होती हैं कविता
और कभी किसी नए जो सुना नहीं वो अनुरोध होती हैं कविता
कवि तो बस लिखता हैं पर भावः हमेशा दूसरो का ही होती है कविता
नए ko ने padhey please
किसी की याद में
कोई बात न कह पाने के मलाल से
या जिसका उत्तर न पा सके
ऐसे ही अनगिन सवाल से?
बहुत ही सुंदर , ओर गहरे भाव लिये आप की यह कविता.
धन्यवाद
बहुत सुन्दर बंधुवर
—आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
bahut khushi ya bahut ranj hota hai jab kavita aati hai
ban kar sukh dukh ki sahgami hriday mera sahla jaati hai,
bahut sunder rachna.
kavita kavi ke kalam ka ek jaadu hai,jo kabhi muskaan bikherta hai,kabhi aankhon ko nam kar jata hai,kabhi sawaalon ke madhya khada karta hai………….
kavi ki kalam sambhawnaaon se bhari hoti hai,
bahut achhi rachna
कविता करो न करो
कवि बन जाओ”
sahi kaha himanshu bhai kahne wale ne
ALOK SINGH “SAHIL”
पर कवि जिसके लिये
“कविता एक कवच है, और
उसके होने जैसा ही सच है”-
क्या हर तन्हा रात को रो दिया करे
(जैसा वह अक्सर किया करता है,
अपनी कविताओं में)
किसी की याद में
कोई बात न कह पाने के मलाल से
या जिसका उत्तर न पा सके
ऐसे ही अनगिन सवाल से?
सही कहा कविता यूँ ही जन्म लेती है ..
वाह जी वाह
कहा था किसी ने
स्वीकार है मुझे भी-
“कविता करो न करो
कवि बन जाओ”
और अपनी इस सहज मनोदशा में
उस अदृश्य कविता में ही खो जाओ।
बेहद खुबसूरत भाव हैं आपकी कविता में ढेरों बधाईयां और सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
लेआउट अभी चेंज किया है अच्छा लगा है
सच कहा !
कविता करो न करो
कवि बन जाओ”
-बिल्कुल सही कहा,,बेहतरीन!
@ रचना जी कह रही हैं नए को ने पढें इसका क्या मतलब है जी ?
ऐसा कब तक करना है ?
वैसे कवि तो आप हो ही मास्साब !