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July 2009

Stories, कहानी

मुंशी प्रेमचन्द की कहानी गमी : जन्मदिवस विशेष

मुंशी प्रेमचन्द की कहानी गमी

मुंशी प्रेमचन्द की कहानी गमी मुझे जब कोई काम- जैसे बच्चों को खिलाना, ताश खेलना,, हारमोनियम बजाना, सड़क पर आने जाने वालों को देखना- नहीं होता तो अखबार उलट लिया करता हूँ। अखबार में पहले उन मुकद्दमों को देखता हूँ…

Ramyantar

तुम्हें कौन प्यार करता है ?

हे प्रेम-विग्रह !एक द्वन्द्व है अन्तर्मन में,दूर न करोगे ? मेरी चेतना के प्रस्थान-बिन्दु परआकर विराजो, स्नेहसिक्त !कि अनमनेपन से निकलकर मैं जान सकूँ कि तुम्हें प्यार कौन करता है ? क्या वह जो अपने प्राणों की वेदी परप्रतिष्ठित करता…

Ramyantar

तुम्हारी याद आती है चले आओ, चले आओ (तुलसी जयंती पर तुलसी-स्मरण )

आज तुलसी जयंती है । इन पंक्तियों के साथ इस विराट पुरुष का स्मरण कर रहा हूँ – अहो, नंदन विपिन की विटप छाया में विराजित कविमुरलिका बन्द कर दो छेड़ना अब रुद्र रव लाओप्रलय है पल रहा हर घर…

वृक्ष-दोहद

सुकुमारी ने छुआ और खिल उठा प्रियंगु: वृक्ष दोहद-6

प्रियंगु! यथा नाम तथा गुण। काव्य रसिकों और औषधि विज्ञानियों दोनों का प्रिय। कालिदास इसकी सुगंध के सम्मोहन में हैं। ऋतुसंहार में सुगंधित द्रव्यों के साथ इस पुष्प का वर्णन है। चरक जैसे औषधि विज्ञानी भी इसे खूब चाहते हैं।…

Ramyantar

आज मिललैं श्याम सावनी विहान में (कजरी 3)

नाग-पंचमी की शुभकामनाओं सहित कजरी की इस प्रस्तुति के साथ यह कजरी-श्रृंखला समाप्त कर रहा हूँ – आज मिललैं श्याम सावनी विहान मेंमाधवी लतान में ना ! नियरे कनखी से बोलवलैंसिर पै पीत-पट ओढ़वलैं,रस के बतिया कहलैं सटके सखी कान…

Ramyantar

बड़ा लागै नीक सखी ना ..(कजरी 2)

श्याम हसलैं बोललैं बइठ के नजदीक सखीबड़ा लागै नीक सखी ना ॥ चमकै लिलरा जस अँजोरियादमकै बिजुरी अस दँतुरिया,मोहे अधरन कि लाल लाल लीक सखीबड़ा लागै नीक सखी ना । बड़री अँखिया कै पुतरियामुख पै लटके लट लटुरिया,जइसे धाये मधु…

Ramyantar

बीतल जात सवनवाँ ना …(कजरी – 1)

सावन आया । आकर जा भी रहा है । मैंने कजरी नहीं सुनी, न गायी । वह रिमझिम बारिश ही नहीं हुई जो ललचाती । उन पुराने दिनों की मोहक याद ही थी जो बारिश की जगह पूरे सावन बरसती…

Stories

एक बोध कथा

बोध कथा वाराणसी के शासक ब्रह्मदत्त को अपने दोषों के संबंध में जानने की इच्छा थी। उसने राजभवन के सेवकों से लेकर जनपद की प्रजा तक सब से प्रश्न किये; किन्तु किसी को उसमें कोई त्रुटि नहीं दिखी। निराश ब्रह्मदत्त…

वृक्ष-दोहद

सुन्दरियों के गान से विकसित हुआ नमेरु: वृक्ष दोहद-5

स्त्रियोचित प्रतिभाओं में सर्वाधिक प्रशंसित और आकर्षित करने वाली प्रतिभा उनका मधु-स्वर-संपृक्त होना है। स्त्री का मधुर स्वर स्वयं में अनन्त आनन्द का निर्झर-स्रोत है। यह अनावश्यक नहीं कि वृक्ष-दोहद की महत्वपूर्ण क्रिया जो अनेक स्त्री-क्रिया-व्यवहारों से सम्पन्न होती हो…

Ramyantar

तुम कौन हो ? …

तुम कौन हो ?जिसने यौवन का विराट आकाशसमेट लिया है अपनी बाहों में,जिसने अपनी चितवन की प्रेरणा सेठहरा दिया है सांसारिक गति को तुम कौन हो ?जिसने सौभाग्य की कुंकुमी सजावटकर दी है मेरे माथे पर,जिसने मंत्रमुग्ध कर दिया है…