यह देखिये कि बूँदे बरसने लगीं हैं, सूरज की चातुरी मुंह छुपा रही है और ग्रीष्म ने…
मैं अपनी कवितायेंतुम्हें अर्पित करता हूँजानता हूँकि इनमें खुशियाँ हैंऔर प्रेरणाएँ भीजो यूँ तो सहम जाती हैंघृणा…
प्रेम की अबूझ माधुरी निरन्तर प्रत्येक के अन्तस में बजती रहती है। अनेकों को विस्मित करती है,…
व्यथित मत होकि तू किसी के बंधनों में है, अगर तू है हवातू सुगंधित है सुमन के…
यूँ तो अनगिनत पुष्प-वृक्षों को मैंने जाना पहचाना नहीं, परन्तु वृक्ष दोहद के सन्दर्भ में कुरबक का…
वृक्ष-दोहद के सन्दर्भ में कर्णिकार (यही नाम तो व्यवहृत है अमलतास का संस्कृत साहित्य में) का उल्लेख…