बात, यदि अधूरी है
बात, यदि अधूरी है तो उसका अर्थ नहीं, यदि संभावनायें हैं तो उसे पूर्ण कर लेना व्यर्थ नहीं। कहा था…
बात, यदि अधूरी है तो उसका अर्थ नहीं, यदि संभावनायें हैं तो उसे पूर्ण कर लेना व्यर्थ नहीं। कहा था…
कविता की दुनिया में रचने-बसने का मन करता है। समय के तकाजे की बात चाहे जो हो, लेकिन पाता हूं…
एक खामोशी-सी दिखी एक इंतिजार भी दिखा अनसुलझी आंखों में बेकली का सिमटा ज्वार भी दिखा, आशाओं के दीप भी…
सोचता हूं, इतनी व्यस्तता, भाग-दौड़, आपाधापी में कितनी रातें, कितने दिन व्यतीत किये जा रहा हूं। क्या है जो चैन…
चेहरे पर मौन सजा लेते हो क्योंकि बताना चाहते हो मुझे मौन का मर्म, हर पल प्रेम और स्नेह से…
साल भर पहले जब वह एक हफ्ते के लिए मेरे घर आयी थी, उसे ‘ई-मेल’ करना सिखाया था- उसने समझा…