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Ramyantar

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मुझसे मेरे अन्तःकरण का स्वत्वगिरवी न रखा जा सकेगाभले ही मेरे स्वप्न,मेरी आकांक्षायेंसौंप दी जाँय किसी बधिक…

हे प्रेम-विग्रह !एक द्वन्द्व है अन्तर्मन में,दूर न करोगे ? मेरी चेतना के प्रस्थान-बिन्दु परआकर विराजो, स्नेहसिक्त…