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नवागत प्रविष्टियाँ

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सुकुमारी ने छुआ और खिल उठा प्रियंगु: वृक्ष दोहद-6

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

  प्रियंगु अपनी अनेक संज्ञाओं, यथा फलप्रिया, शुभगा, नन्दिनी, मांगल्य, प्रिया, श्रेयसा, श्यामा, प्रियवल्लि, कृष्णपुष्पी इत्यादि के साथ प्राचीन संस्कृत…

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सुन्दरियों के गान से विकसित हुआ नमेरु: वृक्ष दोहद-5

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

स्त्रियोचित प्रतिभाओं में सर्वाधिक प्रशंसित और आकर्षित करने वाली प्रतिभा उनका मधु-स्वर-संपृक्त होना है। स्त्री का मधुर स्वर स्वयं में…

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क्या ब्लॉग साहित्य है? – मेरी हाजिरी

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

बिजली आ गयी। हफ्ते भर बाद। ’बूड़े थे पर ऊबरे’। बिजली की अनुपस्थिति कुछ आत्मबोध करा देती है। रमणियों की…

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शुभे! मृदु-हास्य से चम्पक खिला दो: वृक्ष दोहद-4

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

यह देखिये कि बूँदे बरसने लगीं हैं, सूरज की चातुरी मुंह छुपा रही है और ग्रीष्म ने हिला दिये हैं…