
आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने…
Arattai – संदेश और संवाद माध्यमों का स्वदेशी संस्करण
आत्मनिर्भर भारत के गुंजित स्वर में प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के…
आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
नवागत प्रविष्टियाँ
शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (तेरह)
भाव कै भूख न भीख कै भाषा सनेह क जानी न मीन न मेखा कवनें घरी रचलै बरम्हा मोके हाँथे…
शैलबाला शतक: भोजपुरी काव्य रचना (बारह)
करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं शैलबाला शतक के यह छन्द! शैलबाला शतक के प्रारंभिक चौबीस छंद…
शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (ग्यारह)
शैलबाला शतक स्तुति नयनों के नीर से लिखी हुई पाती है। इसकी भाव भूमिका अनमिल है, अनगढ़ है, अप्रत्याशित है।…
कविता: इंतज़ार उसका था
[एक.] सलीका आ भी जाता सिसक उठता झाड़ कर धूल पन्नों की पढ़ता कुछ शब्द सुभाषित ढूंढ़ता झंकारता उर-तार राग…
ग़ज़ल – चाँदनी या मुख़्तसर सी धूप लाना
नज़र में भरकर नज़र कुछ सिमट जाना, भूलना मत।देखना होकर मगन फिर चौंक जाना, भूलना मत। मौज़ खोकर ज़िन्दगी ग़र…
मैंने सोचा मेरी यात्रा का हुआ अन्त..(गीतांजलि का भावानुवाद)
Geetanjali: Tagore I thought that my voyage had come to its end at the last limit of my power, –…