Photo: Devian Art (Credit: Gigicerisier) |
तुम पर तो होकर न्यौछावर हम सब कुछ थे वार गये
पर सत्य कहो, क्यों इस समाज के लघु चिंतन से हार गये
यह समाज तो कहने को केवल अपनों का मेला होता
सत्य कहूं तो इस समाज में हर एक व्यक्ति अकेला होता
पर एक अनोखी बात! प्रीति की रीति जिसे भी आ जाती है
और जिसे यह प्रीति हृदय की विरद नीति समझा जाती है
उसे अकेलेपन का भय भी कहाँ सता पाता है क्षण भर?
वह तो इस एकाकीपन को ही जीता रहता है जीवन भर
और इसी एकाकीपन में हृदय द्वार जब आता कोई
अंधेरी-सी नीरवता में गीत रश्मि बिखराता कोई
तब उस मनभावन का दर्शन, भर देता है उर में कम्पन
और इन्ही कम्पन-पंखों पर उड़ता है प्रेमी का निज-मन
फ़िर तो एकाकीपन अपने हीन भाग्य पर रोने लगता
डूब रास में उर के स्नेही एकाकीपन खोने लगता।
मन दर्पण हो जाता है, प्रिय शशि मुख दर्शन को तत्पर
विकसित होता लावण्यधाम का प्रीति-पुष्प उर के भीतर
नर्तन करता कण-कण,क्षण-क्षण,बिसरा-सा होता यह तन-मन
प्रिय के हेतु स्वयं का प्रिय ही होता है शाश्वत जीवन धन।
यह धन ही जब निज जीवन से अनायास दूर हो जाए
बोलो! प्यासा बिन पानी के कैसे क्षण भर भी जी पाये
और किया क्या था मैंने जो तुमने यह परिणाम दे दिया
जिउं सिसकती जीवन भर, मुझको वैसा आयाम दे दिया।
निश्चय ही जीना अब तो केवल बस एक बहाना है
मैं व्यर्थ नहीं हूँ धरा-धाम पर, तुमको तथ्य बताना है
यह जानो, नारी भले ही सबकुछ पत्थर रखकर सह लेती है
मिली परिस्थिति जो भी उसमें निर्देशित वह रह लेती है
फ़िर भी वामा है सत्व धारिणी, संचित उसमें है शक्तिधाम
संयम की वह मूर्ति रूपिणी, ममता-प्रेम उसी के नाम
दिखलाउंगी नारी क्या है? खाती हूँ यह अनिवार्य शपथ
फ़िर भी जैसे हो स्नेह-विगत! आलोकित हो तेरा आगत-पथ।
पर भाई मेरे इस काव्यात्मक आप बीती में नायिका के साथ हुआ क्या था इसे कुछ तो अभिधा में बतलाते ,मेरे जैसे साहित्य के अल्प समझ वाले लक्षणा और व्यंजना की बातें भला क्या जाने ? नायिका आखिर परित्यक्ता बनी ही क्यों ? क्या हुआ था उसके साथ ?इस वियोग उपख्यान को विस्तार दें ब्रह्मण !
अच्छा अब किस्तों में कविताएं ! लगता है कोई महाकाव्य लिखा जा रहा है 🙂
बहुत ख़ूब
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आप भारत का गौरव तिरंगा गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने ब्लॉग पर लगाना अवश्य पसंद करेगे, जाने कैसे?
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
यह समाज तो कहने को केवल अपनों का मेला होता
सत्य कहूं तो इस समाज में हर एक व्यक्ति अकेला होता
बहुत सुंदर भाव.
धन्यवाद
bahut sahi ….accha laga padh kar..
bahut sundar bhaav…
Bouth he aacha post kiyaa hai aapne
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