आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
गुरु गोरखनाथ की बानी – मेरा गुरु तीन छंद गावै
महान संत, योगी एवं नाथ संप्रदाय के संस्थापक गुरु गोरखनाथ की…
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या निरंकुशता
अभिव्यक्ति, मनुष्य का नैसर्गिक गुण, जिससे हमारे विचार, हमारी भावनायें और…
नवागत प्रविष्टियाँ
ग्रीष्म गरिमा: कवि सत्यनारायण- एक
गर्मी की बरजोरी ने बहुतों का मन थोर कर दिया है, मेरा भी। वसंत का मगन मन अगन-तपन में सिहुर-सा…
राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (आठ)
पिछली प्रविष्टियों राजा हरिश्चन्द्र- एक, दो, तीन, चार, पाँच, छः और सात से आगे- छठाँ दृश्य (श्मसान का भयानक वातावरण।…
हम तोंहसे कुल बतिया कहली: भोजपुरी कविता
हम तोंहसे कुल बतिया कहली सौ बार इहै मंठा महलीकुल गुर गोंइठा भइले पर तूँ दाँतै निपोर के का करबा? …
राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (सात)
इस ब्लॉग पर करुणावतार बुद्ध नामक नाट्य-प्रविष्टियाँ मेरे प्रिय और प्रेरक चरित्रों के जीवन-कर्म आदि को आधार बनाकर लघु-नाटिकाएँ प्रस्तुत…
राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (छः)
नाट्य-प्रस्तुतियों के क्रम में अब प्रस्तुत है अनुकरणीय चरित्र राजा हरिश्चन्द्र पर लिखी प्रविष्टियाँ। सिमटती हुई श्रद्धा, पद-मर्दित विश्वास एवं…
राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (पाँच)
सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र जैसे चरित्र दिग्भ्रमित मानवता के उत्थान का साक्षी बनकर, शाश्वत मूल्यों की थाती लेकर हमारे सम्मुख उपस्थित…