
आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने…
Arattai – संदेश और संवाद माध्यमों का स्वदेशी संस्करण
आत्मनिर्भर भारत के गुंजित स्वर में प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के…
आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
नवागत प्रविष्टियाँ
सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 76-80)
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्य रूपांतर यदेतत्कालिन्दी तनुतरतरंगाकृति शिवेकृशे मध्ये किंचिज्जननि तव यद्भाति सुधियाम्विमर्दादन्योन्यं कुचकलशयोरन्तरगतं तनूभूतं व्योम प्रविशदिव नाभिं कुहरिणीम्॥76॥ यमुन…
आधुनिक मनुष्य कौन? : भाग 2
[डॉ० कार्ल गुस्ताव युंग (Carl Gustav Jung) का यह आलेख मूल रूप में तो पढ़ने का अवसर नहीं मिला, पर लगभग…
आधुनिक मनुष्य कौन? (आलेख)
आधुनिक मनुष्य कौन?: डॉ० कार्ल गुस्ताव युंग जिसे हम आधुनिक मनुष्य कहते हैं, जो तात्कालिक वर्तमान के प्रति सचेतन है,…
शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (आठ)
शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य: 37-48 पूत भयों अस लोलक लइया सबै पुरुखा की बड़ाई बहाई माई की ड्यौढ़ी पै…
है महाराज प्रार्थना यही ..(गीतांजलि का भावानुवाद)
Geetanjali: Tagore This is my prayer to thee, my lord- strike, strike at the root of penury in my heart….
सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 71-75)
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद समं देवि स्कन्दद्विपवदनपीतं स्तनयुगं तवेदं नः खेदं हरतु सततं प्रस्नुतमुखम्।यदालोक्याशंकाकुलितहृदयो हासजनकःस्वकुम्भौ हेरम्बः परिमृशति हस्तेन झटिति॥71॥ संग…