दर्द सहता रहा उसे, सहता है अब तलक। दर्द ने अपनी हस्ती भर उसे चाहा उसकी शिराओं, मांसपेशियों से होते- होते उसके मस्तिष्क, उसके हृदय तक अपनी पैठ बना ली, तब उसने इस दर्द को अपना नाम ही दे दिया।…
आजकल मुझे हंसी बहुत आती है, सो आज मैं फ़िर हँसा। अब ‘ज्ञान जी’ की प्रविष्टियों का ‘स्मित हास’, ‘ताऊ’ की प्रविष्टियों का ‘विहसित हास’, आलोक पुराणिक की प्रविष्टियों का ‘अवहसित हास’ भी बार-बार मुझे मेरी हंसी की याद दिला…
मैं सपनों का फेरीवाला, मुझसे सपन खरीदोगे क्या ? यह सपने जो चला बेचने, सब तेरे ही दिए हुए हैं, इन सपनों के चित्र तुम्हारी यादों से ही रंगे हुए हैं; मैं प्रिय-सुख ही चुनने वाला,मुझसे चयन खरीदोगे क्या? कहाँ…
मैं एक ब्लॉग टिप्पणी हूँ। अब टिप्पणी ही हूँ तो कितना कहूं। उतना ही न जितना प्रासंगिक हो, तो इतना कह लेती हूँ शुरू शुरू में कि मैं ब्लॉग प्रविष्टि से अलग हूँ। अलग इस अर्थ में कि मुझे देख…
एक कागज़ तुम्हारे दस्तख़त का मैंने चुरा लिया था, मैंने देखा कि उस दस्तख़त में तुम्हारा पूरा अक्स है। दस्तख़त का वह कागज़ मेरे सारे जीवन की लेखनी का परिणाम बन गया। मैंने देखा कि अक्षरों के मोड़ों में जिंदगी…
प्रेम पत्रों का प्रेम पूर्ण काव्यानुवाद: चार A Close Shot of Handwritten Love-Letters आँखों से आँसू बह आया, तेरी याद आ गयी होगी। घबराना मत यह आँसू ही कल मोती बन कर आयेंगे विरह ताप में यह आँसू ही मन…
laughing sailor (Photo credit: atomicShed) साहित्य में शील हास्य का आलंबन माना जाता है । आतंकवाद की तत्कालीन घटना के बाद पता चला कि निर्लज्ज भी कैसे हास्य के आलंबन हो जाते हैं ? सुना तो गोपियों के लिए था…
बोलो कैसे रह जाते हो तुम बिन बोले जब कोई स्नेही द्वार तुम्हारे आकर तेरा हृदय टटोले। जब भी कोई पथिक हांफता, तेरे दरवाजे पर आए तेरे हृदय शिखर पर अपनी प्रेम-पताका फहराए, जब तेरी आतुरता में, कोई भी विह्वल…
प्रेम पत्रों का प्रेमपूर्ण काव्यानुवाद: तीन A close capture of hand written love letters. तुम शायद झुंझला जाते हो! कर ही क्या सकती हूँ छोड़ इसे हे प्राणाधिक बतलाओ ना जाने भी दो कृपा करो अब रोष मुझे दिखलाओ ना…
प्रश्न स्वयं का उत्तर अपना औरों से पूछा, अपने मधु का स्वाद लुटेरे भौरों से पूछा। जाना जहाँ जहाँ से आया याद नहीं वह घर, माटी का ही रहा घरौंदा रचता जीवन भर- भोज-रसास्वादन कूकर के कौरों से पूछा। मूर्च्छा…