आशीष जी की पोस्ट पढ़कर टिप्पणी नियंत्रण का हरबा-हथियार (मॉडरेशन) हमने भी लगाया ही था कि पहली टिप्पणी अज्ञात साहब की ही आ गयी । रोचक है, और उपयोगी भी । कितना सच्चा अर्थ पकड़ा है उन्होंने मेरी कविता का ? आप भी देखें –
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आशीष जी की पोस्ट पढ़कर टिप्पणी नियंत्रण का हरबा-हथियार (मॉडरेशन) हमने भी लगाया ही था कि पहली टिप्पणी अज्ञात साहब की ही आ गयी । रोचक है, और उपयोगी भी । कितना सच्चा अर्थ पकड़ा है उन्होंने मेरी कविता का ? आप भी देखें –
यह नया शौक चर्राया है कुछ लोगों को लुका छिपी खेलने का -वैसे अदृश्य हाथ तो क्रूर काल के भी हैं ! पर यहाँ आप पर किसी का अनुग्रह भरा हाथ है -बूझो कौन ?
हा हा सही तो कहा है इन अदृश्य महोदय ने।
भाई कह तो सही रहे हैं वे 🙂
इधर बीच ये ब्लॉग जगत की नई संस्कृति है .
वाह आनंद आ गया। ब्लाग ही तो वह स्थान है जहाँ लोगों को मिस्टर इंडिया बनने का अवसर मिल रहा है।
ये हाथ गले तक़ ना पंहुचे बस्।
अनोनिमस जी को साहित्य की गहन पकड़ है. 🙂
सुवरण को हेरत फिरत कवि व्यभिचारी चोर
तो… हिमाँशु डियर, कविता तो आपने गढ़ी ही ऎसी है कि,
एकाध व्यभिचारी चोर तो आयेंगे
झेलिये अनाम जी को 🙂
अपुन को यह लोचाइच नहीं है,
ऎसा लिखता है निट्ठल्ला कि,
अनाम जी की ऊँगली ही न फड़फड़ाये ।
आप पर परमात्मा का अनुग्रह बना रहे
Anonymous जी की टिप्पणी आमन्त्रित क्यों करते हैं?
अरे बकरे को हलाल करने से पहले प्यार किया जाता है नहलाया जाता है, हिमाशूं भाई छोडो इन बेअनामियो को, इन के बारे चर्चा करना छोड दो जब कोई ध्यान ही नही देगा तो यह खुद ही रुसबा हो जायेगे.
भाई किसी किसी पर अदृष्य भी मेहरवान हो जाते हैं और किसी किसी पर कुपित.:)
रामराम.
बहुत खूब.. आज ही पता चला कि अनाम ऐसे भी होते हैं..
आप भी इन अनाम जीवों की कृ्पादृ्ष्टि के पात्र बन गये……
अनाम ही सही बेचारे टिप्पणी तो कर ही रहे है |
सही कहा है अनाम बंधु ने..