आओ चलो, दीप रखते हैं (कविता)
आओ चलो, दीप रखते हैं कविता जीवन के हर उस कोने…
Arattai – संदेश और संवाद माध्यमों का स्वदेशी संस्करण
आत्मनिर्भर भारत के गुंजित स्वर में प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के…
आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
नवागत प्रविष्टियाँ
प्रिय तेरे इस विशद कक्ष में संस्थित कोना एक हमारा ( गीतांजलि का भावानुवाद )
I am here to sing thee songs. In this hallof thine I have a corner seat. In thy world I…
हिन्दी ब्लॉग लेखन- टिप्पणीकारी: अर्थमय टिप्पणी का मूल्य
टिप्पणीकारी केन्द्रित अपने पूर्ववर्ती आलेखों में मैं यह समझने का प्रयास करता रहा कि टिप्पणीकारी का अपना एक निजी सौन्दर्यशास्त्र…
हिन्दी ब्लॉग लेखन- टिप्पणीकारी: Sow the wind and reap the whirlwind
हिन्दी ब्लॉग और टिप्पणीकारी को लेकर पिछली प्रविष्टि में टिप्पणी करने के महत्व एवं टिप्पणी के रूप और रंग पर…
हिन्दी ब्लॉग लेखन- टिप्पणीकारी: जो मन ने कहा
टिप्पणीकारी को लेकर सदैव मन में कुछ न कुछ चलता रहता है। नियमिततः कुछ चिट्ठों का अध्ययन और उन चिट्ठों…
आत्म रामायण में प्रतीक: रावण की भुजाओं के अस्त्र-शस्त्र एवं अन्य प्रतीक
कवि हरि सिंह द्वारा विरचित पुस्तक आत्म रामायण में रामकथा में प्रयुक्त प्रतीकों की विशद चर्चा की गयी है। इस…
आत्म रामायण में प्रतीक: रावण के दस सिर और उन्हें काटने वाले बाण
मेरे एक मित्र यूँ तो चिट्ठाकारी नहीं करते, पर चिट्ठा-चर्चा और अन्य चिट्ठे पढ़ते जरूर हैं। यद्यपि इन्हें पढ़ने का…